
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक मंदिर की जमीन पर कब्जा करने के लिए भगवान को ही मृतक बना दिया गया। उसके बाद दस्तावेजों में छेड़छाड़ करके मंदिर की जमीन को फर्जी तरीके से अपने नाम करा लिया गया।
न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, मामले को लेकर जब लोगों ने आवाज उठाई तो बात शासन तक पहुंची। तहसीलदार और पुलिस ने जांच शुरू की। उसके बाद फर्जीवाड़ा पकड़ा गया।
इस मामले में अब कार्रवाई की बात कही जा रही है। बता दें कि मंदिर की जमीन भगवान कृष्ण-राम के नाम पर थी।
दरअसल ये पूरा मामला मोहनलालगंज के कुशमौरा हलुवापुर गांव का है। यहां एक मंदिर के ट्रस्ट की जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। ट्रस्ट की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि मोहनलालगंज में खसरा संख्या 138, 159 और 2161 कुल रकबा 0।730 हेक्टेयर ‘कृष्णराम’ भगवान के नाम पर खतौनी में दर्ज है।
रिकॉर्ड्स के मुताबिक, ये मंदिर 100 साल पुराना है। साल 1987 में चकबंदी प्रक्रिया के दौरान भगवान कृष्ण-राम को मृतक दिखाकर उनके फर्जी पिता गयाप्रसाद को वारिस बताते हुए मंदिर की जमीन को उनके नाम पर इसे दर्ज कर दिया गया।
जांच में सामने आया है कि इसके बाद साल 1991 में गयाप्रसाद की भी मौत दिखा दी गई और उसके भाई रामनाथ और हरिद्वार का नाम फर्जी तौर पर दर्ज किया गया। इसी फर्जीवाड़े के दम पर जमीन को हड़प लिया गया।
जांच के मुताबिक, मंदिर की जमीन को हड़पने के लिए भगवान को ही मृतक बना दिया गया।
पहले भगवान को मृतक घोषित कर दिया गया, फिर कागजात दिखाकर मंदिर की जमीन को हड़प लिया गया। मंदिर की जमीन जो कि भगवान कृष्ण-राम के नाम थी, उन दोनों को मृत बताकर पहले फर्जी पिता के नाम जमीन करवा दी। और उसके बाद भी जमीन किसी के नाम पर करवा ली।
इस फर्जीवाड़े के बारे में मंदिर के ट्रस्टी की शिकायत नायब तहसीलदार से होते हुए कलेक्टर तक पहुंची।
जब भी जांच नहीं हो सकी, तो यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने इस मामले की जांच शुरू करवाई। तब जाकर ये फर्जीवाड़ा पकड़ में आया। प्रशासन अब इस पूरे मामले में कठोर कार्रवाई करने की बात कह रहा है।
इस मामले के उजागर होने के बाद से हर तरफ चर्चा शुरू हो गई। भगवान को मृत बताने पर आरोपियों के खिलाफ लोगों द्वारा कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
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